नेता और अभिनेता
नेता अभिनेता बने , मंचन करते रोज
आज यहाँ तो कल वहां ,नाटक रचते रोज |
नाटक रचते रोज , रोज की माया शातिर ,
जनता को गुमराह करें बस वोट के खातिर |
कहता है ‘आजाद’ लोभ लालच भी देता ,
हो गया है बेशर्म आज नेता अभिनेता ||
नहिं विकास नहिं काज कुछ पंचवर्ष का खेल ,
इस दल से उस दल चले कर लेते हैं मेल |
कर लेते हैं मेल मात्र कुर्सी के खातिर ,
जनता को बहकाते कह उस दल को शातिर |
कहता है ‘ आजाद ’ स्वार्थ के ये सरताज ,
कुर्सी आगे दीखता नहिं विकास नहिं काज ||
किसको जनता वोट दे यह है कठिन सवाल ,
खड़गसिंह सम है कोई तो कोई अंगुलिमाल |
कोई अंगुलिमाल बनी राह लेत है रोक ,
कब कोई बुध आइ हैं ,उनको सके जो रोक |
कहता है ‘अजाद’ देश की फिकर हो जिसको ,
चुन ले नेता भला आज यह जनता किसको ? **
- रामचन्दर '' आजाद ''
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अच्छी कुण्डलियाँ
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