समय की चाह
आ गया है वक़्त अब कुछ कर दिखाने का ।
दुश्मन को सबक उसके ही घर में सिखाने का ।।
गीदड़ भी बोलने लगे जब शेर की वाणी ।
फिर शेर को तो चाहिए कुछ कर दिखाने का ।।
जब सरहदें पुकारती हों चीख - चीख कर ।
समझो की सही वक़्त है पौरुष दिखाने का ।।
दुश्मन जब अकड़ और मनमर्जी लगे करने ।
बातों से नहीं शस्त्र से कुछ कर दिखाने का ।।
क्या खूब कहा है किसी ने मरकर न वे मरते ।
आज़ाद इरादे न जिनके कभी पीठ दिखाने का ।। **
रामचन्दर '' आजाद ''
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
सुन्दर गीतिका।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आदरणीय ।
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