दाग
अजब के लोग यहां और गजब का जमाना है ।
ये दाग नई तो नहीं बड़ा ही पुराना है ।।
तेरे हर वो पल को अपना समझने वाली हरदम ।
तेरे हर वो गहरे दाग को छुपाने वाली हरदम ।।
उनके जीवन में एक दाग आई तुम छोड़ गए ।
जिनकी सारे अरमान तुम थे जो पल में तोड़ गए ।।
क्या खता होती है उनकी क्या तेरी खता ना ।
जरा हम भी तो सुने अपनी मुंह से बता ना ।।
दाग तो चांद में भी है ये जमाना कहता है ।
प्यार की प्रशंसा चांद से करते हैं ये दीवाना कहता है ।।
जिनमें दाग हो वो ग़लत हों ये कोई जरूरत ना ।
जिन पर दाग लगा हो क्या वो खूबसूरत ना ।।
खुद पर ही दाग लगाऐं ये तो तमन्ना ना किसी की ।
कैसे निकल जाऊं बेनकाब ये जमाना ना किसी की ।। **
- कवि नंदन मिश्रा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई
माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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