ओ ! मेरे मन
ओ ! मेरे मन । ओ, ! मेरे मन । ओ, ! मेरे मन ।
मेरे संग संग चलाकर । कभी तू।।.......
दूर निकल जाता जब मुझसे मैं घबरा जाता हूँ ।
सच कहता हूँ तेरे बिना नहीं चैन से रह पाता हूं ।।
याद सताए लौट के आजा भुला दे अब अनबन ।।.....
सचमुच तेरे जिद के आगे मैं बेबस हो जाता हूँ ।
लाख चाहकर भी मैं तुझे कुछ कह नहीं पाता हूँ ।।
छोड़ दे जिद अब पास में आजा मैं हो रहा अनमन ।।.....
भले भुला दे मुझको पर मैं तुझको भूल न पाता हूँ ।
तेरी छवि अंतरतर में लिए रात को सो जाता हूँ ।।
भोर भए पर तुम्हे खोजता कर कर लाख जतन ।।.....
हे मन ! मेरे बावले इतना क्यों मुझको तड़पाता है ।
तू आज़ाद बनकर घूमे मुझे तनिक नहीं भाता है ।।
आ मेरे संग कुछ बातें कर ले बिता ले कुछ कुछ छन ।।.....**
- रामचन्दर
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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