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18.5.20

कवि संगीत कुमार वर्णबाल की मार्मिक कविता - '' परिवार ''













परिवार

जीवन जीना है  तो परिवार को समझना  होगा । 
परिवार से ही सबकुछ है, यह मानना होगा  ।। 
जीवन जीने का तो परिवार ही एक मात्र सहारा है । 
हर गम में  खुशियाँ परिवार से ही मिलता है ।।
जीवन  जीना  है  तो  परिवार को समझना  होगा । 

बच्चों को कंधे पे ले पैदल चल दिये । 
राह में आये विपदा  को झेल , सब चल दिये ।। 
परिवार से मिलने धूप में  ही निकल पड़े ।
घर पहुँचने को सब तरस रहें ।। 
जीवन जीना है तो परिवार को  समझना होगा । 

रास्ते में कितने दुःखद घटनायें घटित हो  गये। 
सब स्वप्न चकना चूर हुए , परिवार से न मिल  सके ।। 
कैसी मुसीबत आ गयी लोग आजीविका को भी छोड़ चलें । 
सब अरमा चकना - चूर हुआ कैसी ये मुसीबत आ गयी ।। 
जीवन जीना है तो परिवार को समझना होगा । 

इस विपदा ने परिवार का मूल्य बता दिया । 
कैसे भी रहें परिवार के ही साथ रहें ।। 
हर दुःख - सुख में परिवार ही एक सहारा है ।
हर अश्क को पोंछने परिवार ही सामने आता हैं ।। 
जीवन जीना है तो परिवार को समझना होगा । 

हर गरीब हर अमीर  परिवार में एक जैसा लगता है । 
सब मिल - जुल  ढेरों खुशीयाँ जो मनाते है ।। 
इस विपदा में वो परिवार से मिलने निकल पड़े ।
कितने कोषों , पैदल चल घर पहुँच गये ।। 
जीवन जीना है तो परिवार को समझना होगा । 

कितनी भी उन्नति क्यों न हो , परिवार से अलग न होना । 
जब कोई न देगा साथ, परिवार ही साथ हो आयेगा ।। 
अकेले कभी न रहना , संग  इनके जीवन बिताना । 
चाहे कुछ भी हो , परिवार ही  तो एक अपना है ।। 
जीवन जीना है तो परिवार  को समझना  होगा । **

                          - संगीत कुमार
                                                    जबलपुर

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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई 

माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

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