परिवार
जीवन जीना है तो परिवार को समझना होगा ।
परिवार से ही सबकुछ है, यह मानना होगा ।।
जीवन जीने का तो परिवार ही एक मात्र सहारा है ।
हर गम में खुशियाँ परिवार से ही मिलता है ।।
जीवन जीना है तो परिवार को समझना होगा ।
बच्चों को कंधे पे ले पैदल चल दिये ।
राह में आये विपदा को झेल , सब चल दिये ।।
परिवार से मिलने धूप में ही निकल पड़े ।
घर पहुँचने को सब तरस रहें ।।
जीवन जीना है तो परिवार को समझना होगा ।
रास्ते में कितने दुःखद घटनायें घटित हो गये।
सब स्वप्न चकना चूर हुए , परिवार से न मिल सके ।।
कैसी मुसीबत आ गयी लोग आजीविका को भी छोड़ चलें ।
सब अरमा चकना - चूर हुआ कैसी ये मुसीबत आ गयी ।।
जीवन जीना है तो परिवार को समझना होगा ।
इस विपदा ने परिवार का मूल्य बता दिया ।
कैसे भी रहें परिवार के ही साथ रहें ।।
हर दुःख - सुख में परिवार ही एक सहारा है ।
हर अश्क को पोंछने परिवार ही सामने आता हैं ।।
जीवन जीना है तो परिवार को समझना होगा ।
हर गरीब हर अमीर परिवार में एक जैसा लगता है ।
सब मिल - जुल ढेरों खुशीयाँ जो मनाते है ।।
इस विपदा में वो परिवार से मिलने निकल पड़े ।
कितने कोषों , पैदल चल घर पहुँच गये ।।
जीवन जीना है तो परिवार को समझना होगा ।
कितनी भी उन्नति क्यों न हो , परिवार से अलग न होना ।
जब कोई न देगा साथ, परिवार ही साथ हो आयेगा ।।
अकेले कभी न रहना , संग इनके जीवन बिताना ।
चाहे कुछ भी हो , परिवार ही तो एक अपना है ।।
जीवन जीना है तो परिवार को समझना होगा । **
- संगीत कुमार
जबलपुर
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई
माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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