( प्रस्तुत लघुकथा – पवन
शर्मा की पुस्तक – ‘’ हम जहाँ हैं ‘’ से ली गई है )
घर - समाज
सभी असहय चुप्पी से बद्ध हैं | पत्र आने से परेशान भी हैं | लिखा है कि शादी करेंगें तो छोटी वाली से - और इसी वर्ष | नहीं तो नहीं |
सच भी है - जब उसी की उम्र सत्ताइस की है तो दीदी तो उससे चार साल बड़ी हैं | इकत्तीस की उम्र में भी दीदी के लिए कोई लड़का नहीं मिला | दीदी बूढी दिखने लगी हैं | चेहरे का सारा लावण्य बढ़ती उम्र के साथ समाप्त होता जा रहा है | पहले तो माँ और पिताजी कहते रहे कि कम - से - कम एम.ए. तो कर ले - उम्र बीत रही थी ! फिर नौकरी का चक्कर - उम्र बीतती चली गई ! माँ और पिताजी चिंतित होते रहे | हल कुछ भी नहीं निकला |
' देखो , तुम इसकी पक्की कर दो | नहीं तो लड़का हाथ से निकल जाएगा | ' दीदी कहती है |
वह चौंक जाती है | दीदी का इशारा उसकी ओर था |
' नहीं , पहले तेरी होगी - बाद में इसकी | नहीं तो तेरी शादी के लिए मुश्किल हो जाएगी | सभी कहेंगे - बड़ी में कोई ऐब होगा , तभी तो छोटी का विवाह पहले कर दिया है | ' पिताजी कहते हैं , फिर माँ की ओर देखते हैं |
माँ पहले ही पिताजी को देख रही थीं |
' तो फिर मेरी शादी के पीछे वह भी इकत्तीस - बत्तीस की हो जाएगी | ' दीदी कहती है |
वह चौंकती है | दीदी की ओर देखती है - दीदी के चेहरे पर दर्द की लकीर खिंचती देखती है | कहती कुछ भी नहीं | दर्द की लकीर और भी गहरी होती जाती है | **
- पवन शर्मा
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पता –
श्री नंदलाल सूद शासकीय
उत्कृष्ट विद्यालय
,
जुन्नारदेव , जिला -
छिन्दवाड़ा ( म.प्र.) 480551
फो. नं. - 9425837079 .
ईमेल – pawansharma7079@gmail.com
संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई
माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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