संगीत कुमार वर्णबाल |
धिक्कार है
धिक्कार है उस मुल्क को जिसने आतंक को जन्म दिया।
लानत है उस कोख का जिसने तुझे पैदा किया ।।
कैसा नसीबज़ला ओ मुल्क जिसने तुझे पनाह दिया ।
रमजान जैसा पाक माह में भी तूने नापाक किया ।।
धिक्कार उस मुल्क को जिसने आतंक को जन्म दिया ।
क्यों अमनचैन न रहने देते, जग में दहशत फैलाते हो ।
आतंकी बन इस वसुधा पर अशांति फैलाते हो ।।
क्यों हंदवाड़ा आया था, क्यों ऐसा कुकृत्य किया ?।
तू धृष्ट बन पाँच सुरक्षाकर्मी का जान लिया ।।
धिक्कार है उस मुल्क को जिसने आतंक जन्म दिया ।
क्यों आतंकि बनते हो, क्यों जहर फैलाते हो ।
क्या तेरा कोई मजहब नहीं, बच्चपन से यही सिखाया है ।।
तेरा कोई घर द्वार नहीं क्यों दहशत फैलाते हो ।
लानत है उस माँ को जिसने तुझे पाला-पोशा ।।
धिक्कार है उस मुल्क को जिसने आतंक को जन्म दिया ।।
अरे जिस दिन हम उतर जायेंगे सबक तुझे सिखा देंगे ।
एक मिनट में तेरा पूरा मुल्क हम जला देंगे ।।
एक बाप का बेटा है तो आतंकी बन क्यों आते हो ।
चुनौती है इस सरहद की एक चुटकी में मसल देंगे ।।
धिक्कार है उस मुल्क को जिसने आतंक को जन्म दिया ।
भूखे प्यासे तुम मरते हो अकालग्रस्त है तेरा मुल्क ।
क्यों इतना इतराते हो किस चीज का है तुझे घमण्ड ।।
तू दुस्साहसी हैवान बना, क्यों ऐसा करतूत किया ।
कुछ तो शर्म करो अपनो का, क्यों अश्क बहाते हो ।।
धिक्कार है उस मुल्क को जिसने आतंक को जन्म दिया । **
- संगीत कुमार वर्णबाल
जबलपुर
जबलपुर
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई
माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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