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6.5.20

पवन शर्मा की लघुकथा - '' विभाजन ''


                      ( प्रस्तुत लघुकथा – पवन शर्मा की पुस्तक – ‘’ हम जहाँ हैं ‘’ से ली गई है )  



                                                                   विभाजन 


समझ नहीं पाता मैं |
          पिताजी क्यों चिंतित रहते हैं ? खुद को अकेला और असहाय समझते हैं | इस बीच माँ ही एकमात्र सम्बल रहती हैं उनके लिए | उधर बड़े और छोटे चाचाजी की हमेशा गुप्त मीटिंग होती रहती है , या फिर कभी - कभार पिताजी के साथ बैठते हैं तो हल्की - सी झड़प होती रहती है | आज फिर दोनों चाचा पिताजी के सामने बैठे हैं | पिताजी  ग़मगीन हैं , कुछ सोचते हुए - से |
          समझ नहीं पाता मैं |
          ' तुम लोग ऐसा मत सोचो , नहीं तो गाँव भर में बदनामी होगी कि बाप को मरे एक माह भी नहीं हुआ कि इस घर में ऐसा हो गया | '  पिताजी कहते हैं |
          ' तुमने तो एक ही बात की रट लगा ली है और हमेशा यही कहते हो | हमें तो हमारा हिस्सा चाहिए और कुछ नहीं | '  बड़े चाचाजी ने कहा |
          ' ... और आज हमने फैसला किया है कि हम अपना हिस्सा ... | '  छोटे चाचाजी बोले |
          ' उफ़ ... ! '  पिताजी लम्बी साँस खींचते हैं | 
          कैसा हिस्सा ? क्या माँग रहे हैं यह लोग ? समझ नहीं पाता मैं |
          ' तुम समझने की कोशिश करो| इसका दूसरे लोग फायदा उठाएँगे | '
          ' कुछ भी हो | हमें हमारा ... | '  दोनों चाचा एक स्वर में बोले |
          ' ... तो फिर इस घर के ही क्यों ... मेरे भी टुकड़े - टुकड़े करके आपस में बाँट लो तुम लोग | '  पिताजी की आवाज मुझे पिघलती हुई - सी लगी |
          मेरे जी में आया कि दहाड़ मारकर दोनों चाचाओं को भगा दूँ | अब मैं समझ रहा हूँ कि हिस्सा क्यों होता है !

                                                                           - पवन शर्मा 
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पवन शर्मा
लाधुकथाकर , कहानीकार , कवि


पता
श्री नंदलाल सूद शासकीय उत्कृष्ट  विद्यालय ,
जुन्नारदेव  , जिला - छिन्दवाड़ा ( म.प्र.) 480551
फो. नं. - 9425837079 .
ईमेल – pawansharma7079@gmail.com



संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867


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