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17.5.20

गीतकार कमलेश शर्मा कमल" का गीत - '' बस वो थी ''










बस वो थी

बीता बचपन मेरा सारा, मिलन की रात बस वो थी।
नज़ारे देखे कई सारे , बस  मुलाखात  एक  वो थी।I
एक दिन ऐसा  आया ,  मैं  थोड़ा  सा  था  घबराया।
मैं  कान्हा  बन गया उसका ,  राधिका जो मेरी थी।

दुआएँ  दे  रहे  थे  सब ,  दुआ  के साथ बस वो थी।
गए थे  साथ में हम सब , आये तो साथ में वो थी।।
हर तरफ मौज-मस्ती हैं,कहीं खुशियाँ कही गम हैं |
उसकी आँखों में आँसू थे ,  खुशी दिल में उसके थी।

जो  मिले  हम  तुम  दोनों , गूंज  उठी थी शहनाई।
अधूरे इस दिल के कोने की ,  कर दी तूने भरपाई।।
विवाह  की  वेदी  पर  लिए , जो  सात  फेरे  हमने।
मैं तुम्हारा दिन बना और, तुम मेरी रात बन पाई।।

अधर  से  कोई  अधर  ,   कभी   न   दूर  हो  पाए ।
मिला जो साथ इस जग में, साथ जन्मों तक जाए ।
भरे  झोली  तुम्हारी  वो ,  पथिक  प्रेम  पथ पर हो |
बनकर  के  सुदामा  जो , तुम्हारे  द्वार  पे  आये ।। **

               
- कमलेश शर्मा  " कमल "
        मु. पोस्ट:-अरनोद, जिला:-प्रतापगढ़(राज.)

        Mob. 9691921612








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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई 

माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

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