बस वो थी
बीता बचपन मेरा सारा, मिलन की रात बस वो थी।
नज़ारे देखे कई सारे , बस मुलाखात एक वो थी।I
एक दिन ऐसा आया , मैं थोड़ा सा था घबराया।
मैं कान्हा बन गया उसका , राधिका जो मेरी थी।
दुआएँ दे रहे थे सब , दुआ के साथ बस वो थी।
गए थे साथ में हम सब , आये तो साथ में वो थी।।
हर तरफ मौज-मस्ती हैं,कहीं खुशियाँ कही गम हैं |
उसकी आँखों में आँसू थे , खुशी दिल में उसके थी।
जो मिले हम तुम दोनों , गूंज उठी थी शहनाई।
अधूरे इस दिल के कोने की , कर दी तूने भरपाई।।
विवाह की वेदी पर लिए , जो सात फेरे हमने।
मैं तुम्हारा दिन बना और, तुम मेरी रात बन पाई।।
अधर से कोई अधर , कभी न दूर हो पाए ।
मिला जो साथ इस जग में, साथ जन्मों तक जाए ।
भरे झोली तुम्हारी वो , पथिक प्रेम पथ पर हो |
बनकर के सुदामा जो , तुम्हारे द्वार पे आये ।। **
मु. पोस्ट:-अरनोद, जिला:-प्रतापगढ़(राज.)
Mob. 9691921612
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई
माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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