शराब
देखो आज भीड़ मची है, मधुशाला की क्यारी में ।
चौराहे पर पुलिस खड़ी है , अपनी ही खुद्दारी में ।।
राशन के पैसे नहीं जिनपे , भूखे पेट जो सोते हैं ।
लंबी लाइनों में लगकर, महंगी शराब वो पीते हैं ।।
कहते हे दे रहे योगदान , देश की अर्थ व्यवस्था में।
पीना क्या जरुरी है , आज की ऐसी अवस्था में ।।
निपट लेते हम भयंकर , इस महामारी से ।
पर कैसे निपटेंगे हम, इस शराब की लाचारी से।
महामारी के इस काल में, इतना क्या जरुरी था।
राशन लाने से पहले , पीना बहुत जरुरी था ।।
एक - एक पैसे की खातिर, कितना सब तड़पते हैं ।
दो घूँट पीकर ऐसे ही , कितना वो अकड़ते हैं ।।
आदेश एक ऐसा निकालो, विनती है प्रशासन से।
पहले निपटो आज के , इस मौत के दुशासन से।
बीवी , बच्चे और सभी घर पर , करते इंतज़ार हैं ।
संभल जाओ देश के युवा, गर तुमको उनसे प्यार है।।
-कमलेश शर्मा "कवि कमल "
मु. पोस्ट:- अरनोद, जिला:- प्रतापगढ़ (राज.)
mob.9691921612
--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई
माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
बहुत सुन्दर नीतिपरक सीख है आपके सृजन में । अत्यंत सुन्दर
ReplyDeleteरचना ।