थोड़ा सा क्या लौकडाउन में ढील हुआ
थोड़ा सा क्या लौकडाउन में ढील हुआ
लोग सड़क पर उतर पड़े ।
न मास्क का वो ध्यान रखे
न दूरी का ही ख्याल किये ।
यूं ही अनमने सब घूम रहें
थोड़ा सा क्या लौकडाउन में ढील हुआ
फेरीवाला सामान घूम - घूम बेच रहा
लोग खरीदने टूट पड़े ।
बड़े - बूढे न समझ रहे
न कोरोना का परवाह किया ।
थोड़ा सा क्या लौकडाउन में ढील हुआ
मत समझ कि काल अब चला गया
दुल्हन बन ओ अदृश्य खड़ी ।
जीवन अनमोल उसे बचाये रख
दूरियां एक - दूसरे से बनाये रख ।
थोड़ा सा क्या लौकडाउन में ढील हुआ
मूर्ख बन बलवान न समझ
समझदारी से हर काम कर ।
हर काम दूरी बनाये कर
अपने जीवन की खुद परवाह कर ।
थोड़ा सा क्या लौकडाउन में ढील हुआ
आवश्यक हो तो बाहर निकल
बेवजह न इधर - उधर मचल ।
न कोई अपना न कोई पराया
अपनों का सब ध्यान कर अलख मन में जगाये चल ।
थोड़ा सा क्या लौकडाउन में ढील हुआ **
- संगीत कुमार वर्णबाल
जबलपुर
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई
माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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