( प्रस्तुत लघुकथा – पवन
शर्मा की पुस्तक – ‘’ हम जहाँ हैं ‘’ से ली गई है )
अपराध – बोध
चाचाजी ने अपनी कमीज़ उतार
ली , फिर दोनों पैर मोड़कर सोफे पर पालथी मार कर बैठ गए | उसे अटपटा लगा , किंतु
चुप रहा | वह देख रहा है – चाचाजी बार – बार ड्राइंग – रूम को चोरी – चोरी देख
लेते हैं | शायद वे ड्राइंग – रूम की भव्यता को देख रहे हैं | उसे बैचेनी होती है
कि दोनों के बीच मौन का सिलसिला टूट क्यों नहीं रहा है ?
‘ बीमार थीं ? ' चाचाजी ने मौन तोड़ा |
‘ नहीं ... बुढ़ापे का शरीर था | '
‘ भाभी ने अपनी जिनगी में बेजा दुःख
झेले | '
वह चुप रहा | अपने पिता की मौत के बाद के
दिन वह भी नहीं भूला है | कितने कष्टों में बीते है उसके वे दिन ! अभी भी याद है |
यदि चाचाजी ने उसे और अम्मा को सहारा नहीं दिया होता तो वह सिर्फ़ गाँव का ही होकर
रह गया होता | अम्मा चाचाजी की हमेशा ऋणी रहीं | एक बेसहारा औरत और उसके बच्चे को
आसरा दिया | तभी तो सारी जिन्दगी अम्मा ने गाँव में ही बिता दी | साल भर पूर्व ही
पुत्र – मोह में फँसी वे उसके पास चली आईं |
‘ तूने मोए ख़बर तक नई करी | ' चाचाजी ने कहा |
‘ समय नहीं मिल पाया ... कहीं भी ख़बर
नहीं दे पाया | '
‘ सारी जिनगी उनकी सेवा करी | ' वह महसूस करता है कि चाचाजी की आवाज में बेहद
पीड़ा है , ‘ आखिरी समय में भाभी ऐ देख नई
पाओ मैं | '
‘ यही बात आपके लिए कहते – कहते अम्मा
चली गईं | ' वह कहता है |
कहने के बाद उसे लगता है कि वह किसी
अनजाने अपराध – बोध से दबा जा रहा है | **
- पवन शर्मा
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पता –
श्री नंदलाल सूद शासकीय
उत्कृष्ट विद्यालय
,
जुन्नारदेव , जिला -
छिन्दवाड़ा ( म.प्र.) 480551
फो. नं. - 9425837079 .
ईमेल – pawansharma7079@gmail.com
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई
माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
बहुत सुंदर लघुकथा।
ReplyDeleteनितीश जी बहुत - बहुत धन्यवाद |
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