संगीत कुमार वर्णबाल कवि |
दर्द भरे क्या गीत लिखूँ
दर्द भरे क्या गीत लिखूँ
किसे मन का प्रीत कहूँ
भोर हुआ तम ठहर गया
आशा - किरण न दिख रहा
दर्द भरे क्या गीत लिखू
किससे पूछूं किससे कहूँ
किससे अब वाकया करू
न प्रीत मिला न चैन मिला
मन में तम छा गया
दर्द भरे क्या गीत लिखूँ
दिन रात में अब न फर्क रहा
उर वेदना से त्रस्त हुआ
अधर मुस्कान भी रुक गया
अपनों का न अब संग रहा
दर्द भरे क्या गीत लिखूँ
धरा जैसा जो तुझे समझा
गंगा जैसा निर्मल माना
प्राणों का चिर दर्द बना
जो मिटाये अब न मिट रहा
दर्द भरे क्या गीत लिखूँ
तस्वीर थी तेरी मेरे मन में
तुम जा कहाँ अब खो गयी
अश्क बहा मन रो रहा
तुम क्यों हमसे दूर हुई
दर्द भरे क्या गीत लिखूँ
हो गई अब आँखों से ओझल
हृदय बिलख अब रो रहा
किसे मुस्कान भरे अब गीत कहूँ
मन प्रीत मुझे जो मिल न सका
दर्द भरे क्या गीत लिखूँ **
- संगीत कुमार वर्णबाल
जबलपुर
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई
माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
धन्यवाद
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