( प्रस्तुत लघुकथा – पवन
शर्मा की पुस्तक – ‘’ हम जहाँ हैं ‘’ से ली गई है )
परछाइयाँ
तीनों अपने सामने रखी मेज पर प्लेट में रखे काजू और नमकीन खाते जा रहे थे और हाथ में पकड़े शानदार गिलास में भरी महँगी शराब पीते जा रहे थे | आधी से अधिक खाली बोतल मेज के कोने में रखी थी | रात गहराती जा रही थी...साथ - साथ तीनों का नशा भी |
' फिर ? नेता बोला |
' लगभग चालीस लोगों की भीड़ लगी थी | ' थानेदार ने बताया |
' उसके बाद ? रईस ने पूछा |
' सभी गुस्से में थे | आग उगल रहे थे | उन सब के सामने करमो थी - साथ ही उसकी माँ और उसका भाई भी था | भाई की आँखों में खून था | '
' तुमने क्या किया ? '
' पहले तो खूब समझाया , फिर डराया - धमकाया , लेकिन उनकी ज़िद थी कि रिपोर्ट लिखनी ही पड़ेगी | '
' साले ... जाहिल ... गँवार ... | '
' मैने भी कोरे कागज पर लिखकर बेवकूफ बना दिया | बाद में कागज़ के टुकड़े - टुकड़े कर दिए | लेकिन एक बात है सेठजी ... | '
' क्या ? ' रईस ने पूछा |
' राकेश बाबा को जोर - जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए थी ... बहला - फुसला कर लाइन पर ले आना था करमो को | ' थानेदार ने कहा |
' हरामी का पिल्ला ... बेवकूफ है | ' रईस बुरा मुँह बनाता है |
तीनों जोर से हँसते हैं |
' सारी गलती राकेश बाबा की है | ये आदिवासी बहुत भोले होते हैं | यदि इनकी जगह दूसरे होते तो ... | ' थानेदार शून्य की ओर देखता हुआ बोला |
अचानक उसकी दृष्टि दीवाल पर पड़ती है | उसे लगता है कि सुबह वाली चालीस लोगों की भीड़ के हाथ मशाल के रूप में ऊपर उठे हैं ... न जाने क्यों उसका मन खौफ़जदा होने लगा | **
- पवन शर्मा
------------------------------------------------------------------------------------
पवन शर्मा कवि , लेखक , लघुकथाकार , कहानीकार |
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------
पता –
श्री नंदलाल सूद शासकीय
उत्कृष्ट विद्यालय
,
जुन्नारदेव , जिला -
छिन्दवाड़ा ( म.प्र.) 480551
फो. नं. - 9425837079 .
ईमेल – pawansharma7079@gmail.com
संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई
माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
No comments:
Post a Comment
आपको यह पढ़ कर कैसा लगा | कृपया अपने विचार नीचे दिए हुए Enter your Comment में लिख कर प्रोत्साहित करने की कृपा करें | धन्यवाद |