नेह
नेह निहारे स्वप्न सजाये।
सखी कब तुम आओगी ।।
अपनी बातें तुझे बताऊँ ।
प्रेम रस कब लाओगी । ।
नेह निहारे स्वप्न सजाये ।
आँखों की पलकों पे सजाऊ।
मिलने अब कब आओगी ।।
बीती बातें फिर,कब हमें बताओगी।
साथ फिर कब तू आओगी।।
नेह निहारे स्वप्न सजाये ।
प्रेम रस उर में संजोये ।
गले कब लग जाओगी।।
हाथ में हाथ रखे ।
प्रेम पथ पर कब आओगी।।
नेह निहारे स्वप्न सजाये ।
नेह का दीप जलाये ।
तिमिर कब मिटाओगी ।।
प्रेम रस का अलख जगाने।
फिर मिलने कब आओगी।।
नेह निहारे स्वप्न सजाये ।
प्यार की ज्योति जलाये ।
तुझे हम दिल से पुकारे ।।
स्पर्श कब हो पाओगी ।
आओ फिर प्रेम का दीपक जलाये।।
नेह निहारे स्वप्न सजाये ।
जीवन में सूर्य की प्रभा बिखरे।
पूनम की चमक सजाये ।।
अंधेरे में तू दीप जलाने ।
प्रेम जगाने जो आओगी ।।
नेह निहारे स्वप्न सजाये । **
- संगीत कुमार
जबलपुर
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई
माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
अति सुंदर कविता
ReplyDeleteमैं भी एक bloggerहूँ आप मेरी site पर आकर देखकर अपना प्यार दीजिये
ReplyDeletewww.ojhalpoetry.in
धन्यवाद
देव त्रिपाठी जी मैं बिल्कुल आपके इस ब्लॉग को देखूंगा |
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