जाने दो
जाने दो, अब मुझे घर जाने दो ।
जीते रहें , तुझे जीलाते रहें ।।
धूप में श्रम कर , तेरा घर बनाते रहें ।
अंधेरे में यूँ दिन बिताते रहें , कि तेरा घर जगमगाता रहे ।।
जाने दो, अब मुझे घर जाने दो ।
ठीक रहा तो फिर लौटुंगा , तेरा शहर बसाने को ।
घर में बूढी माँ - बाप, जो नैन सजाये बैठे हैं ।।
राह निहारते इधर - उधर जो अपने घर बैठे हैं ।
जाने दो, अब मुझे घर जाने दो ।
मेरी मिट्टी मेरी माँ जिसने मुझे किया है याद ।
उस मिट्टी का सुगंध मन मेरे जो छाया ।।
उस मिट्टी का है कर्ज चुकाना , जिसने मुझे समर्थ बनाया ।
जाने दो, अब मुझे घर जाने दो।
अपनी मिट्टी - संग फिर अच्छे हो जायेंगे ।
अपनों के संग जो जीवन बितायेंगे ।।
सब हैं वहाँ अपने लोग , घर वहीं बसायेंगे ।
जाने दो, अब मुझे घर जाने दो।।
तेरा क्या है , अच्छे में अच्छाई दिखाओगे ।
अब क्या खाक मदद कर पाओगे ।।
अपने घर जो चल जायेंगे, गुजर - बसर हम कर पायेंगे ।
जाने दो अब मुझे घर जाने दो। **
- संगीत कुमार
जबलपुर
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई
माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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