मजदूर हूँ मैं , पर मजबूर नहीं
मजदूर हूँ मैं , पर मजबूर नहीं ।
मेरी गरीबी कोई कसूर नहीं ।।
था में बहुत थका हारा, बेबस लाचारी का मारा ।
पेट की आग के खातिर, फिरा में पग - पग जग सारा ।।
जाने कई महलों में, मेरा बहा पसीना था ।
सपने बड़े दिखाकर, हमसे सब कुछ छीना था ।।
ना नाम मेरा, ना काम मेरा ।
बस केवल इस्तेमाल मेरा ।।
रोटी के टुकड़े के कारण, टुकड़े टुकड़े आज हुआ ।
भूखे चलते - चलते आज , पाँव से मेरे लहू बहा ।।
ना साधन, ना सुविधा, न कोई हमदर्दी है ।
चारों तरफ फैली केवल, मौत की दहशत गर्दी है ।।
सर पर बोझ उठाये है, कंधों पर जिम्मेदारी है ।
लौट चले पैदल ही घर को, हिम्मत नहीं हारी है ।।
सुन लो दाता मेरी, मानकर फरियाद सही ।
मजदूरों के काम की, आएगी सबको याद कही।।
मजदूर हूँ मैं , पर मजबूर नहीं ।
मजदूर हूँ मैं , पर मजबूर नहीं ।। **
- कमलेश शर्मा "कमल ''
(अध्यापक)
मु.पोस्ट:-अरनोद,जिला:-प्रता पगढ़(राज.)
मो.9691921612
---------------------------------------------------------------------------------------------------------
संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई
माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
No comments:
Post a Comment
आपको यह पढ़ कर कैसा लगा | कृपया अपने विचार नीचे दिए हुए Enter your Comment में लिख कर प्रोत्साहित करने की कृपा करें | धन्यवाद |