बोध
यह दृश्य मेरे लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं था |
होटल का मरियल मालिक अपने तगड़े नौकर को पीट रहा है और नौकर चुपचाप मार खा रहा है | मुझे चाय कसैली लगने लगी , साथ ही गुस्सा भी आने लगा कि नौकर सिर झुकाये मार क्यों खा रहा है ? यों नहीं कि मालिक को जड़ दे दो हाथ | एक हाथ खाते ही वहीँ बैठ जायेगा |
' बस ... बस ... रहने दो ... बहुत मार लिए तुमने उसे ... | ' मैने पिटते हुए नौकर का बचाव किया |
' इन सालों की खाल मोटी हो गई है | थोड़ी - सी मार का तो इन पर असर ही नहीं पड़ता बाबूजी | ' होटल का मालिक गुस्से से थर - थर काँपता हुआ बोला |
' पर इस गरीब को मारने का कोई कारण तो होगा ? ' मैनें पूछा |
नौकर अपने मालिक को मुझसे बातों में उलझा जानकर वहाँ से खिसक लिया और झूठे कप - प्लेट उठाकर होटल के पीछे जाकर धोने लगा |
' जब भी यहाँ राज्य परिवहन की बस आकर रूकती है , तब होटल में ग्राहकों की भीड़ लग जाती है | मैं कहाँ तक ग्राहकों पर नजर रखूँ कि किसने क्या खाया - पिया | ये सब इसी का काम है | वर्षों से यही कर रहा है |आपकी बस के पहले जो बस गई है , उसकी चार सवारियों ने खूब नाश्ता किया लेकिन चाय ही चाय का पैसा दिया | जब बस चली गई , तब ये साला बता रहा है कि उन्होंने ... | मुझे जो घाटा हुआ , वो इसका बाप भरेगा ? ' होटल का मालिक फिर गुस्से से काँपने लगा और जोर से चीखा , ' कहाँ मर गया हरामखोर ... इसकी तो ... | ' लग रहा था कि उसका गुस्सा अभी भी शांत नहीं हुआ है | गुस्से से काँपता और गालियाँ देता होटल का मालिक होटल के पीछे दौड़ा | अपने मालिक को सामने पाकर कप - प्लेट धोता नौकर सीधा तन कर खड़ा हो गया और बोला , ' देख सेठ , मुझे बाहर सबके सामने मार लिया ... मैं कुछ नहीं बोला | तेरी इज्जत की ... लेकिन यहाँ कोई नहीं है ... अब तूने हाथ भी उठाया तो ... '
होटल का मालिक चुपचाप अपने काउन्टर पर आकर बैठ गया |
धीरे - धीरे मेरे भीतर अनजानी ख़ुशी भरने लगी | **
- पवन शर्मा
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पवन शर्मा कहानीकार , लघुकथाकार , कवि |
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(०२-०५-२०२०) को "मजदूर दिवस"(चर्चा अंक-३६६८) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
आपने इस पोस्ट को शामिल किया इसके लिए धन्यवाद अनीता जी |
ReplyDeleteअनीता जी, नमस्ते,
ReplyDeleteनिःसंदेह आपकी चर्चा सार्थक रही होगी. एक अच्छे कार्य के लिए आप बधाई की पात्र हैं. साहित्य सेवा में लगी रहें. - -
पवन शर्मा,
वाह!!!
ReplyDeleteमालिक की इज्ज़त रखी....सबके सामने अपनी बेइज्जती करवाकर...
अद्भुत बोध।
निशब्द।
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