जिन्दगी के वर्क वर्क पढ़ता रहा है आदमी
रोज नये
नये तर्क गढ़ता रहा है आदमी
कभी बाढ़ कभी सूखा और कभी महाप्रलय
इनसे हर दौर में लड़ता रहा है आदमी
राहों में दुश्वारियां आती रही हैं फ़िर भी यार
मन्जिल दर मन्जिल बढ़ता रहा है आदमी
गिरता है उठता है गिर गिर के संभालता है
रोज नई ऊँचाइयाँ चढ़ता रहा है आदमी **
- डॉ रमेश कटारिया ‘’ पारस ‘’
-------------------------------------------------------------------------------------------
संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई
माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
No comments:
Post a Comment
आपको यह पढ़ कर कैसा लगा | कृपया अपने विचार नीचे दिए हुए Enter your Comment में लिख कर प्रोत्साहित करने की कृपा करें | धन्यवाद |