तेरे निशा
मैं नीरस मन में तेज भरूगां .
तू आशा को चमकाये जा ..
मैं फिर विश्व गुरु की ओर बढूँगा ..
तू बस चायना को ठुकराये जा..
तू स्वदेशी की कद्र तो कर.
जब रीत सुहानी आयेगी..
कोरोना जैसी साजिश की..
ना फिर से आंधी आयेगी..
मैं खडा रहूँगा साजो पर..
तू अपने घर सुर ताल तो ला
खुशियों के गीत मैं गाऊंगा ..
तू गौरव चित अभिमान तो ला.
तू अपनों के संग कदम बढा .
औरों के निशा मैं मिटवाऊँगा ..
तू विश्वास की एक डोर बना..
फिर सब के होश मैं उडवाऊँगा ..
अपने भी आँगन में फिर..
नई सुबह थिरक कर खेलेगी..
चाइना तो क्या फिर उसकी दादी भी ..
अपने सामने घुटने टेकेगी ...
- योगेन्द्र जाट
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योगेन्द्र जाट कवि |
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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