अलाव
जलता हुआ अलाव जरा धीमा पड़ गया था , जिससे ताप भी कम हो गया था | उन दोनों के शरीर में ठण्ड समाती चली जाती है और वे उकडू होकर अलाव की राख को कुरेदने लगते हैं | आले में रखी ढिबरी की लौ हवा के झोंके से थरथरा उठती है और मरियल - सा पीला प्रकाश लकदिप कर उठता है |
' तुमे नई मालूम की सारे गाम में हल्ला मचो भओ है | ' लड़का कहता है |
' चुप रे | ' बूढ़ा झल्ला गया |
' मोए चुप कराके सारे गाम ऐ चुप करा लोगे ! '
बूढ़ा कुछ नहीं बोला | उसकी ओर आग्नेय नेत्रों से ताकने के बाद झटके से एल्यूमीनियम के पुराने गिलास को मुँह से लगाकर ठेठ महुआयी दारु गले में उतार ली |
' का सुनो है ? ' झल्लाते हुए बूढ़े ने पूछा |
' जेई ... जेई कि अपन दोनों ने मिल के रामकालिया ऐ ... | ' लड़का बीच में ही बात छोड़ देता है |
' ... मार डालो ... है न ... साल्लेन कूं दसियों बार कह दओ कि बा के पेट में मोड़ा ख़तम हो जावे के कारण वो ... वो साली ... तो मर गई ... पीछे बवाल छोड़ के चली गई ... हरामजादी ! ' बूढ़ा हांफ रहा था |
बूढ़े ने फिर से गिलास में बोतल से दारु भरी और ख़ाली बोतल एक ओर सरका दी |
' देख दद्दा , तु बाए गाली मत दे ... बस्स | '
' काए ? ' बूढ़ा सुर्ख आँखों से उसे देखता हुआ बोला |
' वो मेरी घरवाली थी ... जा के मारे | '
' आज वो तेरी घरवाली हो गई ... बा दिन नई थी , जब दरद के मारे तड़फ रही थी | तूने ही कहो थो कि रैन देओ ... का इलाज करवाओ ... मर जावेगी तो जा के बाप ने जा के नाम करो खेत अपनो तो हो ही जावेगो ... बच्चा भी मर गओ पेट में ... और वो भी ... ' बूढ़े ने जमीन पर रखा गिलास झटके से उठाया और मुँह से लगाकर एक ही साँस में गिलास की पूरी दारु गले में उड़ेल ली |
अलाव पूरी तरह बुझ गया था ... **
- पवन शर्मा
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पवन शर्मा कहानीकार , लघुकथाकार , कवि |
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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