( प्रस्तुत लघुकथा – पवन शर्मा की पुस्तक – ‘’ हम जहाँ हैं ‘’ से ली गई
है )
एडजस्टमेंट
' इस मकान में अपन लोग ठीक जम गए हैं | खुली छत है ,अच्छी हवा आती है | उस मकान में तो उबल जाते थे गर्मी के मारे | ' पति की बगल में तारों भरे आकाश के नीचे लेटी हुई पत्नी ने कहा |
' हाँ ... सो तो है | किराया भी तो उस मकान से दुगना है | ' पति बोला |
' दुगना है तो क्या हुआ ! सारी सुविधाएँ तो हैं इस मकान में | '
' अब अपन को बहुत संभल - संभलकर खर्च करना पड़ेगा | कई बेकार के खर्चों पर नियंत्रण करना पड़ेगा | नहीं तो मुसीबत ही है | शहर में मकान का किराया ही इतना होता है कि तनख्वाह की आधी रकम उठाकर दे दो | ' पति चिन्तित था , शायद भविष्य के बारे में | उसने सिगरेट का कश खिंचा और फैंक दी |
' सो तो है ... फिर कौन से खर्चों पर नियंत्रण करें ? ' पत्नी के स्वर में हल्की झल्लाहट थी |
' ऐसे ही बेकार खर्चों पर - जैसे मेहरी नहीं रखेंगे ... एक किलो दूध की जगह आधा किलो दूध से काम चलाएंगे ... अखबार लेना बन्द ... महीने में दो की जगह एक पिक्चर ... आदि - आदि ... ऐसे ही तो एडजस्ट करना पड़ेगा | ' उसने दूसरी सिगरेट जलाने के बाद पत्नी की ओर देखा |
पत्नी ने कसमसाते हुए कहा , ' ... और सिगरेट की आँच में अपन लोग चाय बना लिया करेंगें ... है न ! '
आकाशगंगा की रेखा दोनों के बीच स्पष्ट दिखने लगी थी |
- पवन शर्मा
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पवन शर्मा कवि , कहानीकार , लघुकथाकार |
पता –
श्री नंदलाल सूद शासकीय
उत्कृष्ट विद्यालय
,
जुन्नारदेव , जिला -
छिन्दवाड़ा ( म.प्र.) 480551
फो. नं. - 9425837079 .
ईमेल – pawansharma7079@gmail.com
संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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