( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' से लिया गया है )
ज्योति गीत ( दो ) - माँगलिक ऋचाएँ गा लें !
सूरज
ब्लैकहोल में डूबा ,
दिन अधमरा पड़ा ,
अपना जाना - पहचाना सब ,
अन्धकार में गड़ा !
नील भित्ति में
जड़े हुए हैं
मटमैले - से काँच ,
काल रात्रि में
दफ्न हुई - सी
है जीवन की आँच !
बालो तुम
चौमुखी दीप इक ,
एक दीप हम बालें ,
गहन तिमिर को
किरनों - जैसा ,
आओ चलो खंगालें !
ज्योति पर्व पर
उजियारी गंगा में
चलो नहा लें ,
स्वस्तिक - चौक - माड़ने रच ,
माँगलिक ऋचाएँ गा लें !
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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