अपने
मंजिल को बढ़ती फिजाओं से
कुछ छूट गया था राहों में
पूरा करने कुछ सपनों को
हम पीछे छोड़ आये थे अपनों को
अब जाकर थोड़ा सा चैन मिला.
कुछ है अपना भी वो वजूद मिला..
अब लौट आये हैं वो ज़मानें भी..
अपनी यादों के अफसाने भी..
वो सुबह संजो कर लाई है...
फिर से बचपन की अंगड़ाई है..
माँ के प्यार से सनी हुई ....
फिर चुल्हे की रोटी भाई है...
फिर तड़का दाल का लजीज़ बना..
और दलिया की रूत आई है..
और माँ के पल्लू से हाथ पोछ
कर..
फिर से गाली खाई है...
घर पर रह कर पता चला ..
अपनों की कीमत का अंदाज..
इनके आगे फीके हैं ..
महलों के सारे सुख और ताज.
और घर के चारों कोनों में ..
फिर से बचपन के खेल खिले..
अच्छा लगता है ये जीवन फिर
से..
जब परिवार के संग मे चैन मिले... **
- योगेन्द्र जाट
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पता - जवाहर नवोदय विद्यालय ,
जाट बड़ोदा , जिला - सवाई माधोपुर ,
राजस्थान .
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