कोरोना ने झाँका जगत का कोना-कोना यारों ,
नज़र आ रहा है हर किसी का रोना-रोना यारों ।
जीवन का अभिमान बड़ा जिनके लिए राहों में ,
सुनसान पड़ी राहों में उनका खोना-खोना यारों ।
मानव का प्रयोग बना है जीवन का कहर बड़ा ,
ऐसे जहर का बीज दुबारा न बोना-बोना यारों ।
बिना किसी हथियार के मौत बना है दुनिया का ,
फिर भी बचे हुए को हाथ-पैर धोना-धोना यारों ।
लाइलाज़ बीमारी का,
तोड़ नहीं है कोई
अब तक ,
फिर से भय का ऐसा दरिंदा न बोना-बोना यारों ।
अपने और परायों का मिलना तो अब दुस्वार हुआ ,
फिर भी दिल में बोझ उन्हीं का ढोना-ढोना यारों ।
भीड़ बनी है दुश्मन सबका खत्म सब बाजार हुआ,
मिले हितैषी चाहे कोई पास न होना - होना यारों ।
तालाबंदी की खबर बढ़ाती है बेचैनी 'आनंद'
की ,
सामाजिक दूरी से जल्दी भगाओ टोना-टोना यारों ।
- रामप्रीत आनंद
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रामप्रीत आनंद गज़लकार , कवि |
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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