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29.4.20

रामप्रीत आनंद - '' झाँका कोरोना ''















झाँका कोरोना 


कोरोना ने झाँका जगत का कोना-कोना यारों ,
नज़र आ रहा है हर किसी का  रोना-रोना यारों ।

जीवन का अभिमान बड़ा जिनके लिए राहों में ,
सुनसान पड़ी राहों में उनका खोना-खोना यारों ।

मानव का प्रयोग बना है जीवन का कहर बड़ा ,
 ऐसे जहर का बीज दुबारा न बोना-बोना यारों ।

बिना किसी हथियार के मौत बना है दुनिया का ,
फिर भी बचे हुए को हाथ-पैर धोना-धोना यारों ।

लाइलाज़ बीमारी का, तोड़ नहीं है कोई अब तक ,
फिर से भय का ऐसा दरिंदा न बोना-बोना यारों ।

अपने और परायों का मिलना तो अब दुस्वार हुआ , 
फिर भी दिल में बोझ उन्हीं का ढोना-ढोना यारों ।

भीड़ बनी है दुश्मन सबका खत्म सब बाजार हुआ,
मिले हितैषी चाहे कोई पास न होना - होना यारों ।

तालाबंदी की खबर बढ़ाती है बेचैनी 'आनंद' की ,
सामाजिक दूरी से जल्दी भगाओ टोना-टोना यारों ।


       - रामप्रीत आनंद 
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रामप्रीत आनंद
गज़लकार , कवि 
















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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

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