अधूरा अफसाना
क्या लूटेगी ये ज़िन्दगी हमें..
जख्म गमों का खाये हैं..
मोहब्बत के अफसानों का.
हम शहर लुटा कर आये हैं..
इश्क की हम उन गलियों का..
राज़ ढूंढ़ कर लाये हैं ...
मुक्कम्बल करके उन राहों को .
अरमान छोड़ कर आये हैं ..
इश्क के झरने के पानी में .
हम आग लगा कर आये हैं ..
मोहब्बत के अफसानों का.
हम शहर लुटा कर आये है..
आज गिरे हैं राहों में ..
कल संभल कर उन्हें बतलायेगें .
तुफानी गमों की आंधी का..
मंजर उन्हें भी दिखलायेगें ..
एक दिन लौट कर के.
हम फिर उन गालियों में जायेगें .
आँखों के छलकते पानी का..
हम सैलाब बना कर आये हैं .
मोहब्बत के अफसानों का..
हम शहर लूटा कर आये हैं ..**
*************************
संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
No comments:
Post a Comment
आपको यह पढ़ कर कैसा लगा | कृपया अपने विचार नीचे दिए हुए Enter your Comment में लिख कर प्रोत्साहित करने की कृपा करें | धन्यवाद |