कामयाबी
नकामयाबी में ना गिन तेरे मेहनत के कदमों को.
हथियार बनाके चल इन हार के सदमों को.
बड़ा ये काफिला होगा जब गैरों की महफ़िल का
इन्हीं से देना है जवाब तुझे ज़िन्दगी की गर्दिश का
तू मुक्कम्बल रख तेरे अंदर तेरी मंजिल के सपनों को
जो टूटे ख्वाब हैं तेरे उन्हें सदगे पे लाने हैं
क्यों इनं राहों में है बहका जो दो दिन के अफसाने हैं
दुनियां पागल कहे तुझको चुन के वो रस्ता चल
क्योकि पागल बनके ही लोगों ने लिखे इतिहास पुराने हैं
जो रोके से ना रुक पाये तू उस आंधी का हिस्सा बन
जबरजस्ती लिखी जाये तू उस तकदीर का किस्सा बन
बना कर के चल तू अपने ज़िष्म के छालों को
क्यों बना रहा तू महल इन ख्वाबों के तिनकों से
मिटा देगें तेरे साथी जर बचके रह इन अपनों से
तू अकेला निकल मंजिल को राहों को रोशन कर
पूरा कर तकदीर की रियासत पर तू अपने सपनों को
क्यों बैठा है आशा की छाँव में तू इन हजारों में
कर कुछ ऐसा ज़िस्से हजारों ढूंढे तुझे इन्हीं किताबों में
तू एक बार पहल तो कर मेरे लफजों के हालों को **
- योगेन्द्र जाट
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पता - जवाहर नवोदय विद्यालय ,
जाट बड़ोदा , जिला - सवाई माधोपुर ,
राजस्थान
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