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25.4.20

सूर्यपुत्र होकर

















( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' एक अक्षर और '' से लिया गया है )


सूर्यपुत्र होकर


ऐसे क्यों उदास हो भाई ?

सूर्यपुत्र होकर क्यों तम के 
आगे यों हताश हो भाई ?

ऐसे क्यों उदास हो भाई ?

देखो , देखो , फूल हँस  रहे 
घिर शूलों के चक्रव्यूह में ,
देखो झाँक रहा है अँखुआ  
इस पथरीले वज्र ढूह में ,

देखो , ग्रीष्म हो चला सावन ,
पतझर होता जाता फागुन ,

किन्तु तुम्हीं क्यों पाले बैठे 
पीड़ा और त्रास हो भाई ?

ऐसे क्यों उदास हो भाई ? **

           - श्रीकृष्ण शर्मा 
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

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