( कवि श्रीकृष्ण शर्मा
के नवगीत - संग्रह
- '' एक अक्षर और '' से लिया गया है )
ऐसे क्यों उदास हो भाई ?
सूर्यपुत्र होकर क्यों तम के
आगे यों हताश हो भाई ?
ऐसे क्यों उदास हो भाई ?
देखो , देखो , फूल हँस रहे
घिर शूलों के चक्रव्यूह में ,
देखो झाँक रहा है अँखुआ
इस पथरीले वज्र ढूह में ,
देखो , ग्रीष्म हो चला सावन ,
पतझर होता जाता फागुन ,
किन्तु तुम्हीं क्यों पाले बैठे
पीड़ा और त्रास हो भाई ?
ऐसे क्यों उदास हो भाई ? **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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