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24.4.20

पवन शर्मा की लघुकथा - '' समझ ''





                       ( प्रस्तुत लघुकथा – पवन शर्मा की पुस्तक – ‘’ हम जहाँ हैं ‘’ से ली गई है ) 


                                   समझ


वह खाता जा रहा है , बिना सिर उठाए | शादी जैसी प्रसन्नता या चहल – पहल नहीं है | तेरहीं का भोज है , इसलिए | सरपंच की अचानक मौत से पूरा गाँव स्तब्ध रह गया है |
          ‘ कक्कू ! '   बगल में बैठे बुजुर्ग से वह बोला |
          ‘ का है रे ? '  खाता हुआ बुजुर्ग बोला |
          ‘ बड़ो अच्छो थो सरपंच | '  वह बोला |
          ‘ हाँ रे , हरेक के दुःख – दर्द ऐ अपनो ही समझतो थो | ‘  बुजुर्ग को सरपंच की मौत का गहरा अफ़सोस था |
          ‘ बड़े दिनों बाद जे चीजें खावे कूं मिली हैं | '  बुजुर्ग की बात को अनसुनी कर बाल सुलभ आवाज में वह आठ वर्षीय बालक बोला , ‘ कक्कू , ऐसो खाना रोज – रोज खावे कूं मिले तो मजा आ जावे ! '
          बुजुर्ग उसका चेहरा ताकने लगा | वह इत्मिनान से बिना सिर उठाये खा रहा था |

-                                       - पवन शर्मा 

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पवन शर्मा
लघुकथाकार , कहानीकार , कवि

पता
श्री नंदलाल सूद शासकीय उत्कृष्ट  विद्यालय ,
जुन्नारदेव  , जिला - छिन्दवाड़ा ( म.प्र.) 480551
फो. नं. - 9425837079 .
ईमेल – pawansharma7079@gmail.com

संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

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