( प्रस्तुत लघुकथा – पवन
शर्मा की पुस्तक – ‘’ हम जहाँ हैं ‘’ से ली गई है )
तेज रोशनी
पत्नी कनखियों से कार चलाते अपने पति को देखती है | रात के अँधेरे में ठंडी बयार पत्नी के बालों की लटों को माथे पर बार - बार बिखेर देती | साड़ी का पल्लू बार - बार सीने से ठुलककर नीचे जा गिरता |
' तुम चुप क्यों हो ? क्या पार्टी में किसी से कुछ बात हो गई है ? ' पत्नी पूछती है |
पति कुछ नहीं कहता | बस , एक बार पत्नी की ओर देखकर कार को बायीं ओर सड़क पर मोड़ देता है |
' क्या मुझसे नाराज हो ? '
' नहीं तो | '
' फिर चुप क्यों हो ? पार्टी कैसी लगी डार्लिंग ? ' पत्नी , पति के नजदीक खिसक आई |
' ठीक | '
थोड़ी देर चुप रहने के बाद पत्नी बोली, 'तुमने अपने अफसर को देखा था पार्टी में !'
' हूँ | '
' बूढ़ा ! रसिया ! ' हौले से पत्नी हँसी |
' उसने तुम्हें डांस के लिए ऑफर किया था न ? '
' हाँ ... तो ? '
फिर क्यों नहीं किया ? '
' उस बूढ़े के साथ ! '
' वो बूढा मेरा ऑफिसर था | '
' दूसरों के साथ डांस करते देख तुम्हें अच्छा लगता ? '
' तो क्या हो गया | '
' तुम्हारी पत्नी हूँ मैं | मुझे शोभा नहीं देता किसी गैर मर्द के साथ डांस करना | '
' वो गैर नहीं है डार्लिंग ... मेरा ऑफिसर है ... आगे प्रमोशन भी तो लेना है ... खुश तो रखना ही पड़ेगा उसे | '
सामने आती कार की हेडलाईट की तेज रोशनी से पत्नी की आँखें चौंधिया जाती हैं|**
- पवन शर्मा
------------------------------------------------------------------------------
No comments:
Post a Comment
आपको यह पढ़ कर कैसा लगा | कृपया अपने विचार नीचे दिए हुए Enter your Comment में लिख कर प्रोत्साहित करने की कृपा करें | धन्यवाद |