( कवि श्रीकृष्ण शर्मा
के नवगीत - संग्रह
- '' अँधेरा बढ़ रहा है '' से लिया गया है
)
बाजों की दहशत में
हाथों में
नोकीले पत्थर लिये हुए ,
अंधी - तंग सुरंग
होठों सब सियें हुए |
साँसों विष हैं
विषधर पाले जैसे - जी ,
लाक्षाग्रह की
आग रही है मन में जी ,
शापग्रस्त घाटी में
सब पग दिए हुए |
आग , खून ,
चीखें हैं औ ' चिल्लाहट है ,
गूंज रही
आदमखोरी गुर्राहट है ,
बाजों की दहशत में
चिड़िया जिए हुए |
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- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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