कवि श्रीकृष्ण शर्मा
के मुक्तक - संग्रह
- '’ चाँद झील में '' से लिया गया है -
फागुनी मुक्तक
इस धूल के हर कण में , रंगों का जनम होता ,
फगुनौटी का हर झोंका,लगता है कि 'रम' होता ,
बेहद सजी औ ' सँवरी मुद्रा लिए प्रणामी -
ये बगिया देख करके दुलहिन का भरम होता |
- श्रीकृष्ण शर्मा
-----------------------------------------------------
www.shrikrishnasharma.com
संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
No comments:
Post a Comment
आपको यह पढ़ कर कैसा लगा | कृपया अपने विचार नीचे दिए हुए Enter your Comment में लिख कर प्रोत्साहित करने की कृपा करें | धन्यवाद |