( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' एक नदी कोलाहल '' से लिया गया है )
शंख - ध्वनि दूर
बुझा अभी ,
जलता अंगारा |
मद्धिम है रोशनी ,
हालत है सोचनी ;
दिन है अब ,
साँझ का उतारा |
बुझा अभी ,
अंगारा |
पका मोतियाबिन्द ,
धृतराष्ट्र हुआ हिन्द ;
शंख - ध्वनि दूर
पार्थ द्वारा |
बुझा अभी ,
जलता अंगारा |
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
Shandaar 😍👍
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