( प्रस्तुत लघुकथा – पवन शर्मा की पुस्तक – ‘’ हम जहाँ हैं ‘’ से ली गई
है )
मज़बूरी
वे दोनों बहुत देर से इस चट्टान पर बैठे थे | मौन ... दोनों में से कोई कुछ नहीं कह रहा था | साँझ ढल रही थी | ढलती धूप जरा हल्की हो गई थी | चट्टान के नाले में घास और वृक्ष के साये अपेक्षाकृत धुँधले होने लगे थे |
' यहाँ पर तुम्हें अच्छा लग रहा है ? ' बहुत देर बाद उसने पूछा |
' बहुत ... तुम्हारे न रहने पर मैं अपना अकेलापन यहीं गुजरता हूँ | '
' कब से ? ... मेरे जाने के पहले से या ... ? '
उसके इस प्रश्न का उत्तर वह नहीं दे पाया | एक क्षण उसकी ओर घूरने के बाद कंकड़ उठा - उठाकर वह नाले में फेंकने लगा |
चुब्ब ! - चुब्ब ! चुब्ब ! ...
' रज्जन ! ' उसने कहा |
वह उसके पास सरक आई और उसके कंधे पर हाथ रख दिया,' कई दिन से मैं एक बात पूछना चाहती हूँ | ''
वह बिल्कुल चुप था | बस , नाले में कंकड़ फेंकते रहा |
चुब्ब ! चुब्ब ! चुब्ब ! ...
' डू यू लव मी ? '
वह चौंक उठा , उसकी ओर देखा और बोला , ' कोई शक है ! '
' नहीं ... फिर तुम अपने घर ... मेरे घर पर अपन दोनों की शादी की चर्चा क्यों नहीं करते ? ... कब तक ऐसे ही रहेंगे ? '
सूरज और भी ढल चुका था |
' जब तक मैं बेरोजगार रहूँगा ... तब तक तो नहीं ! ' वह नाले में ककड़ फेंकता रहा |
चुब्ब ! चुब्ब ! चुब्ब ! ...
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- पवन शर्मा
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पता –
श्री नंदलाल सूद शासकीय
उत्कृष्ट विद्यालय
,
जुन्नारदेव , जिला -
छिन्दवाड़ा ( म.प्र.) 480551
फो. नं. - 9425837079 .
ईमेल – pawansharma7079@gmail.com
संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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