( कवि श्रीकृष्ण शर्मा
के नवगीत - संग्रह
- '' एक अक्षर और '' से लिया गया है )
युद्ध हार कर खड़ा
रसा हुई है अनरस ,
सचमुच
धरती कितनी परवश ?
हवा हो गई हवा ,
गधे के सिर से जैसे - सींग ,
पेड़ खड़े निर्वाक ,
हाँकते बादल कोरी डींग ,
किन्तु न सुन पड़ता
बूँदों का रसभीना कोरस ,
युद्ध हार कर मौन खड़ा
जैसे उदास पोरस |
सचमुच
धरती कितनी परवश ?
आँच दे रहा सूर्य
लपट लिपटी भूमा बेनूर ,
हिया फट रहा , हुआ
आँजुरी का अमृत काफूर ,
फाँक रहा है सिर्फ़ ' सहारा '
मत्स्य - विकल सारस ,
पोरों से लग कर जैसे
गिर गया कहीं पारस
सचमुच
धरती कितनी परवश ?
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- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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