( कवि श्रीकृष्ण शर्मा
के नवगीत - संग्रह
- '' एक नदी कोलाहल '' से लिया गया है
)
नहीं नदी पर सेतु
नहीं नदी पर सेतु ,
न तट पर नाव ,
रहना ही होगा
अब तो इस गाँव |
डूब रही रोशनी ,
देखता सहमा सन्नाटा ,
कुछ ठिठका , फिर करता
सूरज भी टा - टा ;
इस अथाह ने तोड़े
सबके पाँव |
यात्रा टूट रही है ,
द्वार दूसरों के ,
कब्रिस्तान - सरीखे
खुदगर्ज ऊसरों के ;
कातर मन को जोड़ें
कैसे इस ठाँव ?
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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