( कवि श्रीकृष्ण शर्मा
के काव्य - संग्रह
- '' अक्षरों के सेतु '' से सन,1968 में रची कविता )
समय
पता नहीं चलता
समय की मौजूदगी का
जब मौजूद होते हैं अपने सब ,
- बतियाते हैं या
किन्हीं भीतर
या बाहरी
सुगंधों में खोते हैं |
लेकिन भावुक नहीं होता समय |
पूरी मुस्तैदी से -
खोलता रहता है वह हर गाँठ
- तोड़ता रहता है हर कण |
... और
अचानक
कितना स्थिर हो जाता है ,
- हर पल
- ह र क्ष ण ?
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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