( कवि श्रीकृष्ण शर्मा
के नवगीत - संग्रह
- '' एक नदी कोलाहल '' से लिया गया है
)
एक देशद्रोही का आत्म - कथ्य
शीश नहीं ,
हम तो बस सिर्फ़ हैं कबन्ध |
अपना तो परिचय है
- जाफ़र - जयचन्द |
खड़े हुए
कोई भी पाँव धरे ,
बड़े हुए
मगर बंटे ओ ' बिखरे ;
नाटक के पत्रों - सा
रखकर सम्बन्ध |
अपना तो परिचय है
- जाफ़र - जयचन्द |
स्वर्ण - कलश
पर हम हैं छेर पड़ी ,
जीवन - रस
में हम है विषखपड़ी ;
स्वार्थों से किया सदा
हमने अनुबन्ध |
अपना तो परिचय है
- जाफ़र - जयचन्द |
नदियों को
जब चाहा सोख लिया ,
सदियों को बढ़ने से रोक दिया ;
सुनने में थे सदैव
हम ललित निबन्ध |
अपना तो परिचय है
- जाफ़र - जयचन्द |
- श्रीकृष्ण शर्मा
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www.shrikrishnasharma.com
संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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