( प्रस्तुत कविता- पवन शर्मा की पुस्तक -'' किसी भी वारदात के बाद '' से ली गई है )
खेलती हुई लड़कियाँ
जब भी
सिर पर
होती है धूप
खेलने लगती हैं लड़कियाँ
गुड्डे - गुड़ियों का खेल
औसारे में
यहीं बनाती हैं लड़कियाँ
दादा - दादी - नाना - नानी
भाई - बहिन - और
आपस में सहेलियाँ
बना लेती हैं घर - परिवार - समाज
खेलती हुई लड़कियाँ
यहीं सीखती हैं लड़कियाँ
बुहारना घर को - सहेज कर रखना
लड़ना हुक्म चलाना
यहीं सीखती हैं लड़कियाँ
खाना बनाना सबको खिलाने के बाद खुद खाना
और तब
झलक उठता है
उस पल को
खेलती हुई हर लड़की के भीतर
एक माँ का बिम्ब !
- पवन शर्मा
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पवन शर्मा - कवि , लघुकथाकार |
पता –
श्री नंदलाल सूद शासकीय
उत्कृष्ट विद्यालय
,
जुन्नारदेव , जिला -
छिन्दवाड़ा ( म.प्र.) 480551
फो. नं. - 9425837079 .
ईमेल – pawansharma7079@gmail.com
संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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