( कवि श्रीकृष्ण शर्मा
के गीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है )
ओ मेरे कवि
ओ मेरे कवि , चुप मत रहना !!
सब चुप हैं , पर तू सच - सच ही
सारे जग के सम्मुख कहना !
ओ मेरे कवि , चुप मत रहना !!
अनचाहे संक्रांति काल में
बेगानी है दृष्टि समय की ,
चारों ओर घिरी हैं गूँगी
छायाएँ आतंक व भय की ;
बन्धों - प्रतिबन्धों का आलम ,
पटे पड़े जुल्मों से कॉलम ;
शब्द - ब्रह्म की खातिर , आहुति
बन साधना - यज्ञ में दहना !
ओ मेरे कवि , चुप मत रहना !!
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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