( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' एक अक्षर और '' से लिया गया है )
दुपहर सर्द खड़ी
बेहद ठण्डा मौसम |
सुबह शबनमी ,
दिन है कुहरिल
सन्ध्या की चौपालों बैठी
रातों की महफ़िल ,
लेकिन रात ,
पुरानी इमली पर भूत का वहम |
बेहद ठण्डा मौसम
धूप पोर भर ,
तरुण सियाही ,
दुपहर सर्द खड़ी
सूरज की देती नहीं गवाही ,
किरनें भरती
ध्रुव प्रदेश के रिक्त पड़े कौलम |
बेहद ठण्डा मौसम |
हवा सुई हो गयी
ठिठुर कर ,
फैल गये हाशिये शीत के
सारी काया पर ,
लगता जैसे
किसी फ्रीज में बन्द रह गये हम |
बेहद ठण्डा मौसम |
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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