( कवि श्रीकृष्ण शर्मा
के नवगीत - संग्रह
- '' एक अक्षर और '' से लिया गया है )
अय्यारों की बस्ती में
हैं बींध रहे दुर्दिन , पर किसको लिखें पाती ?
चौहद्दियों सन्नाटा , व्यूह तिलिस्माती !!
अय्यारों की बस्ती ये ,
सच की शिनाख्त मुश्किल ,
है इनमें कौन दर्दी ,
है इनमें कौन कातिल ?
एक आँख रो रही है , एक आँख मुस्कराती |
चौहद्दियों सन्नाटा , है व्यूह तिलिस्माती | |
इस आग के सफ़र में
क्या चीखना चिल्लाना ?
बेरहम हवाओं में
कुछ और सुलग जाना
रिश्तों की देहरी पर , तामाशायी बाराती |
चौहद्दियों सन्नाटा , है व्यूह तिलिस्माती !!
पहरे पे खड़े अन्धे ,
हैं भाँजते तलवारें ,
राजा के भाग्य में हैं ,
बस खौफ़ , घुटन हारें ,
बंजर उगीं घटनाएँ , जंगल हुए शहराती |
चौहद्दियों सन्नाटा , हैं व्यूह तिलिस्माती !!
है दर्द का समन्दर ,
हर साँस - साँस डूबी ,
फिर भी तो जिये जाती ,
ये ज़िन्दगी अजूबी ,
सौ सांसतों कबीरा की साखियाँ बतियातीं |
चौहद्दियों सन्नाटा , हैं व्यूह तिलिस्माती !!
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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