( कवि श्रीकृष्ण शर्मा
के नवगीत - संग्रह
- '' एक नदी कोलाहल '' से लिया गया है
)
'' करुणा गप है ''
पिघल रहा है
दर्द ,
कौन रुमालों लेगा ?
चले गये
सारे हमदर्दी
आँख चुराकर ,
सम्बन्धों पर
प्रश्न - चिन्ह अनगिनत
लगाकर ;
गैर कौन
जो नेह - छोह को
भाषा देगा ?
साँसत में है
साँस
और गूँगे आश्वासन ,
अन्धी - बधिर सभा है ,
कौन सुनेगा
रोदन ?
करुणा गप है ,
सच कहना
क्या चीर बढ़ेगा ?
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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