( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के
नवगीत - संग्रह - '' एक
नदी कोलाहल '' से लिया गया है )
'' अवशता ''
( ओम प्रभाकर के एक गीत की शीर्ष पंक्तियों से प्रेरित )
क्या करें ,
कहाँ जायें ?
सूरज तो चला गया
संध्या के संग ,
किसका अब साथ करे ?
दृष्टि यहाँ बैठी
निस्संग ;
आँखों पर
अँधियारा कब तक उठायें ?
अनपेक्षित ध्वनियों का
क्या है अस्तित्व ?
आदमी प्रसुप्त
... और ...
मृत है अपनत्व ;
ऐसे में
आस्था को कब तक जगायें ?
- श्रीकृष्ण शर्मा
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'' अवशता ''
( ओम प्रभाकर के एक गीत की शीर्ष पंक्तियों से प्रेरित )
क्या करें ,
कहाँ जायें ?
सूरज तो चला गया
संध्या के संग ,
किसका अब साथ करे ?
दृष्टि यहाँ बैठी
निस्संग ;
आँखों पर
अँधियारा कब तक उठायें ?
अनपेक्षित ध्वनियों का
क्या है अस्तित्व ?
आदमी प्रसुप्त
... और ...
मृत है अपनत्व ;
ऐसे में
आस्था को कब तक जगायें ?
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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