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13.11.19

'' अवशता ''

( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' एक नदी कोलाहल '' से लिया गया है )














'' अवशता ''
( ओम प्रभाकर के एक गीत की शीर्ष पंक्तियों से प्रेरित )

क्या करें ,
कहाँ जायें ?

सूरज तो चला गया 
संध्या के संग ,
किसका अब साथ करे ?
दृष्टि यहाँ बैठी 
निस्संग ;

आँखों पर 
अँधियारा कब तक उठायें ?

अनपेक्षित ध्वनियों का 
क्या है अस्तित्व ?
आदमी प्रसुप्त 
... और ...
मृत है अपनत्व ;

ऐसे में 
आस्था को कब तक जगायें ?

                        - श्रीकृष्ण शर्मा 
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

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