स्वर गीले हैं
अभी गीत के स्वर गीले हैं ||
अभी प्रीति के बंधन भी तो
लगता है ढीले - ढीले हैं |
अभी गीत के स्वर गीले हैं ||
अभी टीस खामोश नहीं हैं ,
बुझे हुए प्राणों में सुधि की
चिनगी भी बेहोश नहीं है ;
दृग में अभी विषाद भरा है ,
सच मानो , उस दिन का अब भी
मेरे दिल का घाव हरा है ;
आँखों की शबनम के भी तो
रंग अभी नीले - पीले हैं |
अभी गीत के स्वर गीले हैं ||
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
बहुत सुन्दर
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