( कवि
श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह
- '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -)
'' अग्नि – पंथ ''
मेरे प्यासे प्राण भटकते |
नभ में काले मेघ घुमड़ते ,
निर्झर - सरिता - सिंधु उमड़ते ,
पर्वत से बहता सोता है ,
मरुथल में भी जल होता है ,
पर मैं हूँ वह एक अभागा
अग्नि - पंथ में ही जो जागा ;
शीतलता की खातिर जिसके
बूँद -बूँद में प्राण अटकते |
मेरे प्यासे प्राण भटकते |
- श्रीकृष्ण शर्मा
* * *
( कृपया इसे Like, Follow कीजिए | आपके Comment का स्वागत् है | धन्यवाद | )
www.shrikrishnasharma.com
shrikrishnasharma696030859.wordpress.com
संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 0941477186
'' अग्नि – पंथ ''
मेरे प्यासे प्राण भटकते |
नभ में काले मेघ घुमड़ते ,
निर्झर - सरिता - सिंधु उमड़ते ,
पर्वत से बहता सोता है ,
मरुथल में भी जल होता है ,
पर मैं हूँ वह एक अभागा
अग्नि - पंथ में ही जो जागा ;
शीतलता की खातिर जिसके
बूँद -बूँद में प्राण अटकते |
मेरे प्यासे प्राण भटकते |
- श्रीकृष्ण शर्मा
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बहुत बहुत सुन्दर
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