( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है - )
अम्माँ के प्रति
आ रही अम्माँ तुम्हारी याद वह ममता !!
जिन्दगी के दर्द में भीगा तुम्हारा स्नेह ,
दुखों का दरपन तुम्हारी झुर्रियाँ औ देह ,
देख हमको झलकता बुझते दृगों में नूर ,
तुम रहीं संजीवनी , आग्नेय दिन थे क्रूर ;
हम हँसें , तुम अश्रु पी बोती रही थीं हास ,
तम सदा खुद , मिले हमको ज्योति का आकाश ;
और अन्तिम साँस तक खट कर धुआँ होते ,
होंठ पर थीं बस दुआएँ , कह न करुण कथा !
आ रही अम्माँ तुम्हारी याद वह ममता !!
संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर,राजस्थान,फोन नम्बर– 09414771867
अम्माँ के प्रति
आ रही अम्माँ तुम्हारी याद वह ममता !!
जिन्दगी के दर्द में भीगा तुम्हारा स्नेह ,
दुखों का दरपन तुम्हारी झुर्रियाँ औ देह ,
देख हमको झलकता बुझते दृगों में नूर ,
तुम रहीं संजीवनी , आग्नेय दिन थे क्रूर ;
हम हँसें , तुम अश्रु पी बोती रही थीं हास ,
तम सदा खुद , मिले हमको ज्योति का आकाश ;
और अन्तिम साँस तक खट कर धुआँ होते ,
होंठ पर थीं बस दुआएँ , कह न करुण कथा !
आ रही अम्माँ तुम्हारी याद वह ममता !!
- श्रीकृष्ण शर्मा
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