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29.10.19

सन्ध्या- ( 2 )

( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' से लिया गया है )



















सन्ध्या - ( 2 )

          सन्ध्या के संग मिटा ,
          सूरज का स्वर्ण - लेख |

डूब गयी  सबकी सब
बस्ती काले जल में ,
उलझा रह गया शिखर 
मन्दिर का बादल में |
          यात्राएँ ठहर गयीं 
          सड़कें अधरंग देख |

नीड़ों में सोयी है 
अब थकान दिन भर की ,
जाग रहा सिर्फ दिया
आस सांजो घर भर की |
          सन्नाटा बजता है ,
          रातों की लिये टेक |

धरती का उजियारा 
हथियाया तारों ने ,
गठियाये सपने सब 
धूर्त औ ' लबारों ने ,
          उफ़ , पिशाच - सीनों में ,
          गड़ी नहीं किरन मेख |

                  - श्रीकृष्ण शर्मा
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shrikrishnasharma696030859.wordpress.com

संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867     

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