( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत संग्रह - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' से लिया गया है - )
'' संध्या '' - ( 1 )
बैठ गयी है
ऊपर चढ़ कर धूप
नीम पर ,
लेकिन
साड़ी का पल्लू
लटका मुंडेर पर |
दिन भर
चल कर थका
और मांदा ये सूरज ,
फिसला चला जा रहा
घाटी की ढलान से |
खेत चुग रहे पाखी
अब उड़ चले गगन में ,
जब कि चलायी गोफन
संध्या ने मचान से |
बोझिल कदमों लौट रही है
हवा भीलनी ,
अपने आँचल में
मादक महुआ समेट कर |
घनी झाड़ियों
अलसाया - ऊँघता पड़ा था
दिन भर रीछ - सरीखा तम ,
अब बढ़ा आ रहा |
निकल - निकल कर
अन्दर से आ रहीं तरैयाँ ,
देख रहीं
नंगा जंगल
दूधों नहा रहा |
शहर बदर थी
जो वीरानी औ ' सूनापन ,
बस्ती में लाता
सन्नाटा उन्हें घेर कर |
- श्रीकृष्ण शर्मा
************************************
(आपके Like,Follow,Comment का स्वागत् है | धन्यवाद | )
www.shrikrishnasharma.com
shrikrishnasharma696030859.wordpress.com
'' संध्या '' - ( 1 )
बैठ गयी है
ऊपर चढ़ कर धूप
नीम पर ,
लेकिन
साड़ी का पल्लू
लटका मुंडेर पर |
दिन भर
चल कर थका
और मांदा ये सूरज ,
फिसला चला जा रहा
घाटी की ढलान से |
खेत चुग रहे पाखी
अब उड़ चले गगन में ,
जब कि चलायी गोफन
संध्या ने मचान से |
बोझिल कदमों लौट रही है
हवा भीलनी ,
अपने आँचल में
मादक महुआ समेट कर |
घनी झाड़ियों
अलसाया - ऊँघता पड़ा था
दिन भर रीछ - सरीखा तम ,
अब बढ़ा आ रहा |
निकल - निकल कर
अन्दर से आ रहीं तरैयाँ ,
देख रहीं
नंगा जंगल
दूधों नहा रहा |
शहर बदर थी
जो वीरानी औ ' सूनापन ,
बस्ती में लाता
सन्नाटा उन्हें घेर कर |
- श्रीकृष्ण शर्मा
************************************
(आपके Like,Follow,Comment का स्वागत् है | धन्यवाद | )
www.shrikrishnasharma.com
shrikrishnasharma696030859.wordpress.com
संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
No comments:
Post a Comment
आपको यह पढ़ कर कैसा लगा | कृपया अपने विचार नीचे दिए हुए Enter your Comment में लिख कर प्रोत्साहित करने की कृपा करें | धन्यवाद |